Corona kya hain aur corona vaccine kya hoti hain

वायरस क्या होता है

वायरस ना तो जीवित होता है ना ही मृत होता है वैज्ञानिकों की की माने तो यह दोनों के बीच में ही रहता है ।

जब यह शरीर के बाहर होता है तो इसका कोई कार्य नहीं होता लेकिन जब यह शरीर के अंदर आ जाता है तो वह अपना कार्य करने लग जाता है

करोना भी वायरस का नाम है जो मुख्यतः फेफड़ों पर असर करता है और फेफड़ों के कोशिकाओं  मे परिवर्तन लाता है जिससे फेफड़ों की  ऑक्सीजन  तथा  अवशोषित करने की क्षमता कम हो जाती है

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पहले भी जो नॉर्मल खांसी जुकाम होते थे वह भी कोरोना वायरस की ही वजह होते थे लेकिन समय के साथ-साथ वायरस भी अपना रूप बदलता है और इस बार उसने ऐसा रूप लिया है जिससे हमारा शरीर जूझ रहा है

कितनी अजीब बात है ना हमें पता है वायरस कैसा दिखता है हमें पता हो कैसे कार्य करता है फिर भी हम उसे अपने कोशिकाओं में जाने से नहीं रोक पाते

क्योंकि यह सब बदलाव कोशिका स्तर पर हो रहे होते हैं इसलिए कोशिका ही अपना बचाव का रास्ता निकालते हैं

जैसे ही शरीर में बदलाव होते हैं हमारा रक्षा तंत्र नई कोशिकाओं को जन्म देना स्टार्ट कर देता है जैसे हम एंटीबॉडीज का नाम देते हैं यह एंटीबॉडी उसी वायरस के कार्य करने की क्षमता को या तो खत्म या तो काफी हद तक कम कर देती है 

इस कार्य को करने में हमारे शरीर को काफी समय और ऊर्जा की आवश्यकता होती है इसलिए हमारे शरीर का तापमान भी पढ़ने लग जाता है

Corona वैक्सीनेशन क्या होता है

 वैक्सीनेशन एक प्रक्रिया का नाम है 

जैसा कि आपने अभी ऊपर पड़ा हमारे शरीर में बदलाव आने के कारण हमारा रक्षा तंत्र एंटीबॉडीज का निर्माण करता है और उसको निर्माण करने के लिए यह पता होना चाहिए कि वह शरीर में कोई परिवर्तन या बदलाव हो रहे हैं

और बिना बदलाव है शरीर को पता नहीं चलता और वह एंटीबॉडीज नहीं बनाता तो हमारा वैक्सीनेशन बनाने का मतलब यही होता है कि हम पहले से ही बॉडी को सचेत कर पाए

 आइए प्रोसेस को समझ लेते हैं

हम शरीर को पहले से ही रखने के लिए बॉडी के अंदर एक कमजोर उसी तरह से    देखने वाला वाला वायरस या pathogen एंटर करते हैं

बॉडी इस वायरस से पैसे जन से लड़ने के लिए खास तरह के एंटीबॉडीज बनाता है और इसकी एक याददाश्त अपने अंदर रख लेता है ताकि जब कोई असली वायरस आए तो उससे लड़ने में आसानी हो

कितनी अजीब बात है ना दोस्तों यह सब पता होते हुए भी हमें अपने आप ही को धोखा देना होता है क्योंकि हम कोशिकाओं से बने होते हैं और कोशिकाओं पर हमारा बस नहीं चलता हमें प्रकृति के नियमों का पालन करना ही पड़ता है

चलिए आइए आइए अब जान लेते हैं भारत के अंदर कौन से दो वैक्सीन बहुत ही कारगर है और उनके नाम क्या है

एक है को  covidshield और एक है को covaxin

हालांकि विश्व भर में और भी बहुत सी रहती है जैसे रूस की स्पूतनिक जॉनसन जॉनसन

इन सभी वैक्सीनस में या तो मृत वायरस या कमजोर वायरस का सहारा लिया जाता है और सभी के कार्य करने का तरीका लगभग एक जैसा ही होता है परंतु वैक्सीन की पहचान उसकी efficiency से होती है

दोनों vaccines में से कौन सी बेहतर है?

दोनों ही प्रभावी है और अपने ग्रुप में अच्छा कार्य कर रही है

क्लिनिकल ट्रायल्स में दोनों ही बेहतर रहे हैं कोरोनावायरस   पर प्रभावी है

वैक्सीनेशन लगने के बाद में क्या बीमार पड़ सकते हैं या corona हो सकता है? 

वैक्सीनेशन द्वारा हमारे शरीर के अंतर एंटीबॉडी का निर्माण जरूर होता है लेकिन यह कितना होता है  किस हद तक होता है   यह व्यक्ति से व्यक्ति पर निर्भर करता है  

जैसा कि आप जानते ही  वैक्सीनेशन का मतलब होता है वायरस की तरह दिखने वाला या कमजोर वायरस ही हमारी बॉडी के अंदर डाला जाता है और इससे हमारा  रक्षा तंत्र उसके खिलाफ एंटीबॉडीज तैयार करता है हम 

आइए जान लेते हैं कि हम

वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करा सकते हैं

वैक्सीनेशन के रजिस्ट्रेशन के लिए आपको नीचे दिए गए लिंक पर जाना है

https://Cowin.gov.in

उसके बाद आप दिशानिर्देश के द्वारा अपने दिन और समय को चुन सकते हैं और वैक्सीन लगवा सकते हैं रजिस्ट्रेशन के टाइम पर आधार कार्ड मोबाइल नंबर की आवश्यकता होती है

वैक्सीन के कितने dose होंगे और कब कब दिए जाएंगे?

दोनों वैक्सीन के दो-दो doses दिए जाएंगे  

Covid shieldके अंदर doses के बीच में अंतर 4 से 8 हफ्ते रहेगा और

 Covaxin के बीच में अंतर 6 से 8 हफ्ते का रहेगा 

क्या दोनों  doses के लिए अलग-अलग रजिस्ट्रेशन कराना होगा? 

नहीं एक ही बार में ही दोनों के लिए रजिस्ट्रेशन हो जाएगा

क्या हम अपनी मर्जी से  vaccine को सेलेक्ट कर सकते हैं ?

नहीं यह इस पर निर्भर करता है कि जहां आप जा रहे हैं वहां कौन सी वैक्सीन उपलब्ध है

एंटीबॉडीज कब तक बननी शुरू होगी?

दोनों वैक्सीन के लगने के 2 से 3 हफ्ते बाद एंटीबॉडीज बनना स्टार्ट हो जाती है

एक बार एंटीबॉडीज बन गई तो हमारे शरीर रक्षात्मक कार्य काफी तेजी से कर पाएगा अब आपको समझ आ ही गया होगा कि वैक्सीनेशन लगवाने के बाद भी लोग बीमार क्यों पड़ रहे हैं क्योंकि एंटीबॉडीज बनने में समय लगता है और एंटीबॉडीज किस हिसाब की बनी है वह असली वायरस को रोक पाएंगे नहीं पाएंगे यह व्यक्ति से व्यक्ति पर निर्भर करता है

इससे बचाव बहुत हद तक बढ़ जाता है

क्या जिनको करोना हो चुका है उन्हें भी वैक्सीन लगवाने की जरूरत है? 

करोना कि कई मामले रिकवर के होने के बाद भी आए हैं तो बेहतर यही होगा कि आप भी वैक्सीन लगवा ले

वैक्सीन बचाव की 100% गारंटी तो नहीं देती लेकिन यह आपकी बॉडी के अंदर जरूरी एंटीबॉडीज का निर्माण जरूर कर देती है 

जब अगर करोना हो भी जाए तो बचाव में आसानी होगी

किन्हे वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए? 

प्रेग्नेंट औरतें और स्तनपान करा रही महिलाओं तथा कोरोना से पीड़ित व्यक्ति और किसी भी अन्य गंभीर बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति को नहीं लगवानी चाहिए

क्या दोनों डोसेज अलग-अलग वैक्सीन के हो सकते हैं

बिल्कुल नहीं पहला  dose जिस vaccine का लगवाए दूसरा भी उसी वैक्सीन का लगवाएं

क्या vaccine से लगवाने के बाद भी mask लगाना होगा?

मास्क लगाने का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि corona वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक ना फैले |

वैक्सीन लगने के बाद किस तरह के लक्षण देख सकते हैं?

जिस जगह वैक्सीन लगाई गई है वहां हल्का दर्द सर दर्द बुखार चक्कर आने जैसे लक्षण देख सकते हैं घबराए नहीं यह शरीर के रक्षा तंत्र के सजग होने का एक लक्षण

वैक्सीन से पीरियड पर कोई असर तो नहीं पड़ता? 

पीरियड प्राकृतिक प्रक्रिया है वैक्सीनेशन का इससे कोई संपर्क नहीं पाया गया है

वैक्सीनेशन की कीमत कितनी है? 

सरकारी अस्पतालों में दोनों ही बिल्कुल मुफ्त है और प्राइवेट अस्पतालों में इसकी कीमत मात्र  ₹250 है (one dose

दोस्तों आशा करता हूं आपको काफी सवाल क्लियर हो गए होंगे अगर फिर भी कोई सवाल है तो वह आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं और और कोई जानकारी चाहिए हमें बता सकते हैं

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